Actually मै जब एह पड़ा तो मुझे लगा की एह मेरी बात हो रही है.
एक movie देखा था "दिल तो बच्चा है जी". इस movie में
तिन लोगों के साथ tragedy होती है. मगर उस तिन आदमी को छोड़ के
दुनियाके सारे लोगों के लिए ओह एक मजाक लगता है. किसी को
चोट लगता है, या फिर कोई गिर जाते हैं तो हम उसको निकालने
या उसका देखभाल करने के पहले उसका मजा लेते हैं. और बाद में
कभी किसी को मजाकिया मिजाज में उस घटना का बर्णनभी करतें हैं.
कभी भूलके भी नहीं सोचते हैं की हमभी उस स्थान पे रह सकते थें.
आज अचानक मुझे खुदको पूरी दुनिया के सामने एक मजाक लगरहा है.
मगर मेंने एक हल निकला; पूरी दुनिए के साथ खुद को भी अपने
हाल पे हसना चाहिए, क्यूंकि वैसेभी मेरे पास कोई हल तो नहीं है.
No comments:
Post a Comment